पंचायती राज दिवस 2022:
क्या रहा इस बार खास
इस समय हमारे देश में 13वां राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जा रहा है। इस बार पंचायती राज दिवस बिना किसी विशेष थीम या विषय के मनाया जा रहा है। इस मौके पर देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस बार प्रधानमंत्री ने पंचायती राज दिवस के अवसर पर जम्मू की ग्राम पंचायतों को संबोधित किया।
इस मौके पर उन्होंने पंचायत स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को पुरस्कृत भी किया। साथ ही प्रधानमंत्री जी ने जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास हेतु ₹20,000 करोड़ की कल्याणकारी योजनाओं की सौगात भी जम्मू कश्मीर को प्रदान की। इस दौरान उन्होंने दिल्ली कटरा एक्सप्रेस वे की आधारशिला भी रखी और 850MW की रतले जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन तथा क्वार जलविद्युत परियोजना (540MW) का शिलान्यास भी किया।
पीएम मोदी इस बार जम्मू के सांबा जिले में पंचायती राज दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस साल का मुख्य आकर्षण पुरस्कार समारोह होगा, जो देश में पंचायतों के बेहतर कामों को एक तरह से मान्यता देता है।
ये पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाएंगे
1. दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार
2.नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार
3. ई-पंचायत पुरस्कार
4. ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार
5. बाल हितैषी पंचायत अवॉर्ड
जानिए क्या हुआ था पिछली बार
भारत ने 24 अप्रैल 2021 को 12वाँ राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day) के रूप में मनाया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने स्वामित्व (SWAMITVA) योजना के अंतर्गत ई-संपत्ति कार्ड वितरण का शुभारंभ किया था। यह योजना पंचायती राज मंत्रालय, राज्य पंचायती राज विभाग, राज्य राजस्व विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से ड्रोन तकनीकी द्वारा नवीनतम सर्वेक्षण विधियों के उपयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में रिहायशी ज़मीनों के सीमांकन के लिये संपत्ति सत्यापन का समाधान करेगी।
यह मैपिंग पूरे देश में चार वर्ष की अवधि में (वर्ष 2020 से वर्ष 2024 तक) पूरी की जाएगी।
कब से हुई पंचायती राज दिवस की शुरुवात
पंचायती राज दिवस पहली बार 24 अप्रैल 2010 को मनाया गया था। यह दिन 1992 में संविधान के 73वें संविधान संशोधन के अधिनियमन का प्रतीक है। इसी दिन वर्ष 1992 में 73वें संविधान संशोधन के जरिए बहुप्रतीक्षित पंचायती राज अधिनियम संसद से पारित हुआ था।
इस ऐतिहासिक संशोधन के जरिए जमीनी स्तर की शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया गया और पंचायती राज नाम की एक संस्था की बुनियाद रखी गई। 73वें संशोधन के तहत संविधान में भाग-9 जोड़ा गया था, जिसके अंतर्गत पंचायती राज से संबंधित उपबंधों की बात की गई है। वर्ष 2004 में प्रथम बार पंचायती राज मंत्रालय का गठन हुआ था। साल 2010 से 24 अप्रैल को हर साल ये दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन बेहतर प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत करने का भी प्रावधान किया गया है।
पंचायती राज दिवस मनाने का उद्देश्य
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हर साल 24 अप्रैल को देश-भर में पंचायती राज प्रणाली को दिए गए संवैधानिक दर्जे को चिन्हित करने के लिए राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day 2022) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस पूरे देश के पंचायत प्रतिनिधियों के साथ सीधे संवाद करने के साथ-साथ उन्हें सशक्त बनाने और प्रेरित करने के लिए उनकी उपलब्धियों को पहचानने का अवसर प्रदान करता है।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने का उद्देश्य पंचायतों और ग्राम सभाओं, संविधान द्वारा अधिदेशित ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं और उनकी भूमिकाओं, जिम्मेदारियों, उपलब्धियों, समस्याओं, संकल्पों आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
पंचायती राज का तात्पर्य
कहा जाता है कि भारत का दिल उसके गांवों में बसता है और देश की समृद्धि उसके गांवों के विकास से ही है। हमारे देश में तकरीबन में छह लाख से अधिक गांव हैं, जो छह हजार से अधिक ब्लॉक और 750 से अधिक जिलों में बंटे हुए हैं।
पंचायती राज का तात्पर्य स्वशासन से है और यह व्यवस्था शासन के विकेंद्रीकरण के तहत की गई है। पंचायती राज संस्था को भारत के सबसे पुराने शासी निकायों में माना जाता है।
पंचायती राज संस्थान भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (Rural Local Self-government) की एक प्रणाली है। स्थानीय स्वशासन का अर्थ है स्थानीय लोगों द्वारा निर्वाचित निकायों द्वारा स्थानीय मामलों का प्रबंधन।
आधुनिक पंचायती राज के जनक
पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है। रिपन ने 1882 में स्थानीय संस्थाओं को उनका लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान किया था।
देश में पंचायती राज पहली बार कहां लागू हुआ था
बलवंत राय मेहता समिति के सुझावों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर ज़िले में पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया था। इसके कुछ दिनों के बाद आंध्र प्रदेश में भी इसकी शुरुआत हुई थी।
बलवंत राय मेहता समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीन स्तरीय पंचायत की बात की थी -
1. ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत की व्यवस्था
2. ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति की व्यवस्था
3. जिला स्तर पर जिला परिषद की व्यवस्था
भारत में पंचायतों का इतिहास
भले ही स्वतंत्रता के पश्चात आधुनिक भारत में पंचायती राज की स्थापना 73वें संविधान संशोधन 1992 के तहत वर्ष 1994 में हुई थी, परंतु भारत में पंचायतों की व्यवस्था आदिकाल से ही रही है। प्राचीन भारतीय शासन पद्धति में भी प्रशासन की सबसे मूल और सबसे छोटी इकाई ग्राम ही होती थी, जिसका एक मुखिया होता था। प्राचीन काल के अनेक धार्मिक एवं ऐतिहासिक ग्रंथों में इसका विवरण मिलता है कि ग्राम पंचायतों की व्यवस्था हमारे भारतीय समाज में विवादों का निपटारा करने और राजा की योजनाओं को गांव तक पहुंचाने के लिए पहले से ही थी।
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