UPSSSC UP Lekhpal 2022 | राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की महत्त्वपूर्ण जानकारी for up lekhpal 2022

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जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, उत्तर प्रदेश (UPSSSC) ने बहुप्रतीक्षित यूपी लेखपाल भर्ती 2022 की मुख्य परीक्षा की तिथि का निर्धारण कर दिया है। पहली बार नए पैटर्न पर हो रही इस भर्ती की मुख्य परीक्षा के लिए 19 जून की तिथि निर्धारित की गई है। इसके बाद से ही यूपी राजस्व लेखपाल की तैयारी करने वाले प्रतिभागी मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं। 


उन्ही प्रतिभागियों की तैयारी में सहयोग करने की भावना से हमने आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 (National Health Policy:NHP 2017) के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को इस आलेख में शामिल किया है, जिससे उन्हें परीक्षा की तैयारी में कुछ सहयोग मिल सके।



आइए जानते हैं राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 क्या है 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 1983 एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 ने स्वास्थ्य के लिए विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में अनेक महत्वपूर्ण योगदान एवं मार्गदर्शन दिए हैं। इन्हीं से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 के लागू होने के 15 वर्ष पश्चात् गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य-देखभाल (Health care) सुविधाओं को सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने वर्ष 2017 में ‘भारतीय स्वास्थ्य नीति-2017’ को अनुमोदित किया था। 

इस राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में वर्ष 2025 को ध्यान में रखते हुए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिसे तय समय सीमा के अंतर्गत हासिल किया जाना सुनिश्चित किया गया है। इसे स्वास्थ्य-क्षेत्र के इतिहास की एक बड़ी छलाँग माना जा रहा है।


राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 को 15 मार्च, 2017 को “स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय” द्वारा शुरू किया गया था। इस नीति में सरकार का ध्यान “बीमार की देखभाल” से शिफ्ट होकर “बीमार के कल्याण” पर होगा। यह भारत सरकार की तीसरी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति है। भारत की पहली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति  को 1983 में बनाया गया था, जिसका मुख्य लक्ष्य 2000 तक सभी को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराना था।



नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की आवश्यकता क्यों थी 

पिछली स्वास्थ्य नीति को बने 15 वर्ष बीत गए हैं। इन 15 वर्षों में देश में बहुत सी चीजें बदल गई हैं। जनसँख्या से लेकर लोगों की प्रति व्यक्ति आय तक, बीमारियों की सघनता से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता तक, तकनीकें इत्यादि लगभग सभी चीजें बदल गयी हैं। इसलिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को भी बदलते समय की जरुरत के हिसाब से बदलने की आवश्यकता थी और इसी को ध्यान में रखते हुए नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति तैयार की गई है।


इस राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का लक्ष्य सभी उम्र के लोगों को निवारक और प्रोत्‍साहक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल दिशानिर्देशों के माध्यम से स्वास्थ्य और कल्याण के उच्चतम संभव स्तर को प्रदान करना और इसमें किसी भी प्रकार की वित्तीय कठिनाई को दूर करना है।


नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के उद्देश्य

नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली (Public Health Care System) में आम जनमानस के विश्वास को मजबूत करना है। इसमें एक ऐसी प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया जायेगा जो कि रोगी केंद्रित, कुशल, प्रभावी एवं किफायती हो। साथ ही जिसमें सेवाओं और उत्पादों की इतनी व्यापकता हो कि लोगों की सभी त्वरित जरूरतों को पूरा किया जा सके, इन्हें इधर-उधर अस्पतालों के चक्कर ना काटने पड़ें।


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आइए अब नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की विशेषताएं और इसके लक्ष्य जानते हैं

नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के लक्ष्य


1. इस स्वास्थ्य नीति में वर्ष 2025 तक जन-स्वास्थ्य पर खर्च सकल घरेलू उत्पाद(GDP) का 2.5% तक बढ़ाना का लक्ष्य रखा गया है, जो मौजूदा 1.1% के स्तर से काफी ज्यादा है।


2. इस नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने के साथ-साथ सार्वजनिक अस्पतालों में निःशुल्क दवाइयाँ मुहैया कराने पर भी जोर दिया गया है।


3. इसके तहत सरकार ने 2017 तक कालाज्वर तथा फाइलेरिया, 2018 तक कुष्ठ रोग, 2020 तक खसरा और 2025 तक तपेदिक(TB) के उन्मूलन करने की कार्य-योजना तैयार की है।


4.  साथ ही इसमें हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह या श्वास संबंधी रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु को साल 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत तक करने की बात कही गई है एवं गैर-संक्रामक रोगों की उभरती चुनौतियों से भी निपटने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।


5. नई नीति अनुसार, वर्ष 2022 तक प्रमुख रोगों के प्रसार तथा उनके रुझान को मापने के लिये अशक्तता समायोजित आयु वर्ष (D.A.L.Y.) सूचकांक की नियमित निगरानी की जाएगी।


6. नई स्वास्थ्य नीति में साल 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता घटाने और उसके रोगियों के वर्तमान स्तर को घटाकर एक तिहाई तक करने का प्रस्ताव किया गया है।


7. नई नीति में जीवन प्रत्याशा को 68.7 साल से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 साल करने का लक्ष्य रखा गया है।


8. लोगों की अकाल मृत्यु को 25 प्रतिशत कम करने तथा पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर को वर्ष 2025 तक कम करके 23 प्रति एक हजार का लक्ष्य रखा गया है। 


9. साथ ही शिशु मृत्युदर को घटाकर 28 प्रति हजार (2019 तक) का लक्ष्य भी इस नीति में शामिल है। इसे वर्ष 2025 तक 16 प्रति हजार तक लाने का लक्ष्य भी रखा गया है।


10. इस नीति में 2025 तक मृत बच्चों की जन्म दर को एक अंक में लाने अर्थात 10 से कम करने का लक्ष्य रखा गया है।


11. 2025 तक देश की राष्ट्रीय एवं उपराष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर (TFR) को 2.1 के स्तर तक लाने का लक्ष्य भी रखा गया है।


12. इसमें चिकित्सा बहुलवाद (Medical Pluralism) को प्रोत्साहित करना भी शामिल है।


13. इसमें वर्ष 2025 तक यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि 90 प्रतिशत नवजातों को एक वर्ष के होने तक प्रतिरक्षित (Immunised) कर दिया जाये।


निष्कर्ष

निश्चित तौर पर नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति(NHP) 2017 में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित सभी आयामों को शामिल किया गया है, जिसमे चिकित्सा सुविधाओं का प्रबंधन एवं वित्तपोषण, विभिन्न क्षेत्रीय कार्रवाईयों के जरिये रोगों की रोकथाम और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना, मानव संसाधन का विकास करना, चिकित्सा बहुलवाद को प्रोत्साहित करना, बेहतर स्वास्थ्य के लिये अपेक्षित ज्ञान का आधार बनाना, स्वास्थ्य के विनियमन और उत्तरोतर विकास के संबंध में स्वास्थ्य प्रणालियों को आकार देने में सरकार की भूमिका और प्राथमिकता आदि सभी शामिल है।


इस तरह से यह नीति स्वास्थ्य देखभाल संबंधी सभी सैद्धान्तिक पहलुओं को छूने का प्रयास करती है। चूँकि इस नीति का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को सर्वसुलभ बनाना है, इसलिए इसी के अनुसार इस नीति में क्रियान्वयन की रूपरेखा भी तैयार की गई है। 


इस नीति के उचित क्रियान्वयन से जन-स्वास्थ्य के स्तर में निश्चित तौर पर सुधार की संभावना परिलक्षित होती है। चूंकि इस नीति में सभी उद्देश्यों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, इसलिए संभावना है और ऐसी उम्मीदें भी हैं कि यह अपने लक्ष्य में लगभग खरी उतरे। जैसे कि जीवन-प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी, सार्वभौमिक प्रतिरक्षण, TB, कुष्ठरोग, खसरा, फाइलेरिया आदि गंभीर बीमारियों के उन्मूलन, जन स्वास्थ्य पर GDP के खर्च में बढ़ोत्तरी आदि विभिन्न लक्ष्य परक तथ्य इसमें रखे गए हैं, जिनमें से अधिकतर को वर्ष 2025 तक हासिल किया जाना है।



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