नमस्कार दोस्तों, आनंद सर्किल में आज हम झील पर चर्चा करेंगे। भारत की प्रमुख झीलो की विशेषताएं और उनकी अवस्थिति जानेंगे। साथ ही "झीलों का निर्माण कैसे होता है और झील कितने प्रकार की होती हैं? भारत की ताजे पानी की सबसे बड़ी झील और मीठे पानी की सबसे बड़ी झील कहां है? भारत की सबसे बड़ी लैगून झील कहां है?" भी जानेंगे।
आइए सबसे पहले जानते हैं झील कहते किसे हैं?
सामान्यतः चारों ओर से भूमि से घिरे हुए पृथ्वी की सतह से विस्तृत गर्त वाले उन भागों को झील कहा जाता है, जहां जल जमा हो जाता है।
उत्तर भारत के अधिकतर झीलों का निर्माण या तो भूगर्भीय क्रियाओं द्वारा हुआ है या हिमानियों (ग्लेशियरों) के हिमस्खलन द्वारा।
उदाहरण के तौर पर जम्मू कश्मीर की वुलर झील जो मीठे पानी की और ताजे पानी की भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है, इसका निर्माण भूगर्भीय क्रियाओं से हुआ है।
झीलों का निर्माण प्रायः हिमस्खलन से, भूस्खलन से, ज्वालामुखीय क्रियाओं से, पृथ्वी की विवर्तनिक प्लेटों में परिवर्तन से या वायु द्वारा होता है। इसके अलावा कुछ झीलों का निर्माण नदियों अथवा महासागरों की लहरों की क्रियाओं के फलस्वरुप भी होता है जिन्हें तटरेखा झीलें अथवा लैगून झीलें कहते हैं। ये झीलें सदैव तटीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
उदाहरण के तौर पर ओडिशा के तट पर चिल्का झील, जो खारे पानी की भारत की सबसे बड़ी लैगून झील है। यह ओडिशा में महानदी के मुहाने पर स्थित है। यहां भारतीय नौसेना का प्रशिक्षण केंद्र भी है। वर्षा ऋतु में इस झील को दया और भार्गवी नदी से जल प्राप्त होता है।
यहां एक बात ध्यान देने योग्य है खारे पानी की भारत की सबसे बड़ी झील राजस्थान में सांभर झील है जबकि खारे पानी की सबसे बड़ी लैगून झील ओडिशा की चिल्का झील है। पुलिकट झील भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है, जो श्रीहरिकोटा द्वीप के द्वारा बंगाल की खाड़ी से अलग होती है।
राजस्थान राज्य की अधिकतर झीलें लवणीय हैं। यहां की झीलों का निर्माण पवनों द्वारा हुआ है।राजस्थान की झीलों का लवणीय होना यह प्रमाणित करता है, कि यहाँ पर कभी टेथिस सागर रहा होगा जो अब एक अवशेष के रूप में बचा है, इसलिए इन झीलों का पानी खारा है।
इसके अलावा कुछ झीलों का निर्माण मानवीय क्रियाओं के फलस्वरुप भी होता है, जिन्हे कृत्रिम झील कहते हैं। जैसी गोविंद सागर झील, यह भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है, जो पंजाब के रोपड़ जिले में सतलज नदी पर भाखड़ा नांगल बांध से निर्मित हुई है। इसका प्रयोग जल विद्युत उत्पादन परियोजनाओं में होता है।
चोलामू झील भारत की सबसे ऊंचाई (18000 फीट) पर स्थित झील है, जो सिक्किम राज्य में है। तीस्ता नदी का उद्गम इसी झील से होता है।
लोनार झील महाराष्ट्र की एक खारे पानी की झील है, जिसका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के परिणामस्वरूप हुआ है।ज्वालामुखी क्रियाओं के द्वारा निर्मित झील को क्रेटर झील भी कहते हैं।
रूपकुंड झील उत्तराखंड में स्थित है, जिसका निर्माण हिमस्खलन के कारण हुआ है। इसकी खोज 1942 ई० में एच के माधवन नामक रेंजर ने की थी। यहां मिलने वाले नरकंकालों के कारण इस झील को रहस्यमई झील के नाम से भी जानते हैं।
लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है, जो मणिपुर राज्य में स्थित है। इस झील में केइबुल्लामजाओ नामक एक तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है। इसी झील पर के जल विद्युत परियोजना का भी निर्माण किया गया है। इस झील को विश्व में तैरती द्वीपीय झील के रूप में जाना जाता है।
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