वीटो पॉवर क्या है? राष्ट्रपति की वीटो शक्तियां, वीटो पावर किस अनुच्छेद में हैं? भारत के राष्ट्रपति की कौन सी वीटो पॉवर अमेरिकी राष्ट्रपति से अधिक है?

नमस्कार दोस्तों, आनंद सर्किल में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज इस आलेख में हम राष्ट्रपति की वीटो शक्तियां जानेंगे। किसी भी राज्य के शासनाध्यक्ष/ राज्याध्यक्ष अथवा राष्ट्रपति के लिए संविधान में चार प्रकार की वीटो शक्तियों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से किसी भी शासनाध्यक्ष को तीन प्रकार की वीटो शक्तियां ही मिलती हैं।


आइए जानते हैं राष्ट्रपति की इन सभी वीटो शक्तियों के बारे में। 
सबसे पहले तो यह जानते हैं कि वीटो पावर या वीटो शक्ति क्या होती है? आपने संयुक्त राष्ट्र संघ के विषय में पढ़ा होगा, उसके सुरक्षा परिषद के पांचों स्थाई सदस्यों को वीटो पावर प्राप्त है।  वीटो पावर का अर्थ होता है कि राष्ट्रपति या शासन अध्यक्ष या किसी एक संस्था विशेष या पद विशेष के पास ऐसी शक्ति का होना, जिसके आधार पर वह किसी विधेयक को, किसी प्रस्ताव को रोक सके, उस पर अड़ंगा लगा सके, उसको अटका सके या लंबित कर सके, उसको कानून बनने से, लागू होने से रोक सके। 
संविधान द्वारा राष्ट्रपति को वीटो शक्तियां देने के दो कारण हैं- 
(i) संसद को जल्दी बाजी और बिना उचित विचार विमर्श किए विधान बनाने से रोकना, 
(ii) किसी असंवैधानिक विधान को बनाने से रोकने के लिए।

वर्तमान समय में किसी राज्य के कार्यकारी प्रमुखों को चार प्रकार की वीटो शक्तियां प्रदान की गई हैं- 
1. अत्यांतिक वीटो अर्थात विधायिका द्वारा पारित विधेयक पर अपनी राय सुरक्षित रखना,
2. विशेषित वीटो, जो विधायिका द्वारा उच्च बहुमत से निरस्त की जा सके, 
3. निलंबनकारी वीटो, जो विधायिका द्वारा साधारण बहुमत से निरस्त की जा सके, 
4. पॉकेट वीटो, विधायिका द्वारा पारित विधेयक पर कोई निर्णय नहीं लेना।

Note: यहां राज्य का तात्पर्य किसी संवैधानिक पद, संस्था, संसद, विधायिका या किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार क्षेत्र है ना कि कोई प्रांत।

भारत के संदर्भ में बात की जाए तो भारत के राष्ट्रपति को इनमें से तीन प्रकार की वीटो शक्तियां संविधान के अनुच्छेद 111 के अंतर्गत प्रदान की गई हैं- अत्यांतिक वीटो, निलंबनकारी वीटो और पॉकेट वीटो जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति को निलंबनकारी वीटो के स्थान पर विशेषित वीटो प्रदान की गई है। विशेषित वीटो भारत के राष्ट्रपति के संदर्भ में महत्वहीन है क्योंकि विशेषित वीटो और निलंबनकारी वीटो में से किसी शासन अध्यक्ष को एक ही प्रदान की जा सकती है। एक वीटो शक्ति प्रदान करने के बाद दूसरी वीटो शक्ति का महत्व समाप्त हो जाता है। इसका कारण यह है कि जब राष्ट्रपति के वीटो को केवल उच्च बहुमत से निरस्त किया जा सकता है तो यह साधारण बहुमत से निरस्त नहीं होगा और यदि उसे साधारण बहुमत से ही निरस्त किया जा सकता है तो उच्च बहुमत की आवश्यकता ही नहीं होगी।


आइए अब भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्तियों को विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।
जैसा कि आप अभी पढ़ा कि भारत के राष्ट्रपति को तीन प्रकार की वीटो शक्तियां संविधान के द्वारा प्रदान की गई हैं- अत्यांतिक वीटो, निलंबनकारी वीटो और पॉकेट वीटो।

1. अत्यांतिक वीटो- इस वीटो शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति दो परिस्थितियों में करता है-
(i) यदि राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेजा गया विधेयक गैर सरकारी सदस्य (अर्थात संसद का वह सदस्य जो मंत्री परिषद का सदस्य ना हो) द्वारा प्रस्तुत किया गया हो और 
(ii) यदि राष्ट्रपति के समक्ष सहमति के लिए भेजा गया विधेयक सरकारी विधेयक तो हो (अर्थात मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा भेजा गया हो) परंतु विधेयक पारित होने के पश्चात जब वह राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेज दी जाए किंतु उसके पश्चात वह मंत्रिमंडल विघटित हो जाए और नया मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को उस विधेयक पर अपनी सहमति ना देने की सलाह दे।

इस प्रकार ऐसे विधेयक समाप्त हो जाते हैं और अधिनियम नहीं बन पाते।

2. निलंबनकारी वीटो- इस प्रकार के वीटो का प्रयोग राष्ट्रपति तब करता है जब उसे किसी विधेयक को संसद के पास संशोधन के लिए अथवा पुनर्विचार के लिए लौटाना होता है। हालांकि यदि संसद उस विधेयक को संशोधित करने के पश्चात अथवा बिना संशोधन किए पुनः राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेजती है तो राष्ट्रपति उसे अपनी स्वीकृति प्रदान करने के लिए बाध्य होता है अर्थात राष्ट्रपति के इस वीटो को संसद साधारण बहुमत से निरस्त करा के विधेयक को पुनः सहमति के लिए भेज सकती है। वहीं अमेरिका में इस प्रकार के वीटो को निरस्त करने के लिए उच्च बहुमत की आवश्यकता होती है।
यहां एक बात ध्यान रखने योग्य है कि राष्ट्रपति इस प्रकार की वीटो पावर का प्रयोग धन विधेयक के संबंध में नहीं कर सकता है क्योंकि धन विधेयक संसद में राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के पश्चात ही पेश किए जाते हैं। इसलिए या तो वह धन विधेयक को अपनी सहमति प्रदान करेगा या उस पर अपने निर्णय को सुरक्षित रखकर उसे अपने पास ही रोक लेगा परंतु संसद के पास पुनर्विचार के लिए नहीं भेज सकता।

3. पॉकेट वीटो- इस प्रकार की वीटो पावर के जरिए राष्ट्रपति किसी विधेयक पर ना तो अपनी सहमति देता है, ना ही अस्वीकृति और ना ही उसे पुनर्विचार के लिए लौटाता है बल्कि उसे एक अनिश्चित काल के लिए लंबित कर देता है। राष्ट्रपति की किसी विधेयक पर किसी प्रकार का भी निर्णय ना देने की शक्ति ही पॉकेट वीटो के नाम से जानी जाती है। राष्ट्रपति इस वीटो शक्ति का प्रयोग इस आधार पर करता है कि संविधान में उसके समक्ष आए उस विधेयक पर निर्णय देने के लिए कोई समय सीमा नहीं है।
दूसरी ओर अमेरिका में यह व्यवस्था है कि राष्ट्रपति को 10 दिन के भीतर ही उस विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाना होता है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि भारत के राष्ट्रपति की यह वीटो शक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति से अधिक है।

यहां एक बात याद रखने योग्य है कि संविधान संशोधन से संबंधित अधिनियम पर राष्ट्रपति के पास कोई भी वीटो पावर नहीं होती है। 24वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 के तहत संसद ने संविधान संशोधन विधेयकों पर राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देने के लिए बाध्यकारी कर दिया।

राज्य विधायिकाओं के संबंध में भी यदि विधेयक राष्ट्रपति के पास विचार करने के लिए राज्यपाल द्वारा भेजा गया हो तो राष्ट्रपति के पास संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत तीन प्रकार की वीटो शक्तियां उपलब्ध हैं- 
1. राष्ट्रपति विधेयक पर अपनी स्वीकृति दे सकता है,
2. विधेयक पर अपनी स्वीकृति को सुरक्षित रख सकता है, 
3. यदि वह विधेयक धन विधेयक नहीं है तो उस विधेयक को राष्ट्रपति राज्यपाल के पास लौटा कर निर्देश दे सकता है कि उसे राज्य विधायिका के पास पुनर्विचार हेतु लौटाया जाए। 
यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि राज्य विधायिका द्वारा संशोधित करने के पश्चात अथवा बिना संशोधन किए पुनः राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए विधेयक भेजने पर राष्ट्रपति इस पर सहमति देने के लिए बाध्य नहीं है। इसका अर्थ है कि राज्य विधायिका राष्ट्रपति के वीटो को निरस्त नहीं कर सकती, राष्ट्रपति के वीटो को निरस्त करने की पॉवर केवल संसद के पास है।
 इसके अलावा संविधान में यह समय सीमा भी नहीं दी गई है कि राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के पास विचार करने के लिए भेजे गए विधेयक पर राष्ट्रपति कब तक अपना निर्णय दे। इस प्रकार राष्ट्रपति राज्य विधेयकों के संदर्भ में पॉकेट वीटो का प्रयोग भी कर सकता है।

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