ODOP-एक जनपद एक उत्पाद योजना कब शुरू हुई | ODOP योजना का उद्देश्य क्या है | ODOP योजना के अंतर्गत सभी जिलों से लिए गए उत्पादों की सूची


नमस्कार दोस्तों, आनंद सर्किल में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज इस आलेख में हम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सन 2018 में शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना "ODOP - एक जनपद एक उत्पाद योजना" का अध्ययन करेंगे।

उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य, जिसका भौगोलिक विस्तार 2,40,928 वर्ग किमी में हो, जहाँ लगभग 23-24 करोड़ की विशाल जनसंख्या निवास करती हो, वहाँ संभव ही नहीं है कि जीवन के हर परिपेक्ष्य में विविधताएँ न हों। यहाँ विभिन्न धरातलीय क्षेत्र हैं, अलग अलग भोजन व फसलें हैं, विभिन्न जलवायु है और इस सबसे ऊपर विभिन्न सामुदायिक परम्पराएँ, संस्कृतियां एवं आर्थिक परिपेक्ष्य हैं। इस सबसे निकलकर उत्तर प्रदेश में जो एक सुंदर विविधता बनती है, वह है यहाँ की शिल्पकला और उद्यमिता, जो प्रदेश के छोटे छोटे कस्बों एवं शहरों में फैली हुई है। यहाँ का हर कस्बा और जनपद अपने विशिष्ट और असाधारण उत्पादों के लिए ख्यात है। 

ODOP (One District One Product) अर्थात् "एक जनपद एक उत्पाद" योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के सभी जिलों की विशिष्ट शिल्पकलाओं एवं उत्पादों को देश एवं विदेश में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना और उन्हें प्रोत्साहित करना है।
उत्तर प्रदेश में ऐसे अनेक उत्पाद बनते हैं जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं, जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूँ डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर ज़री-जरदोज़ी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य जो हाथी दांत का प्रकृति–अनुकूल विकल्प है। इनमें से बहुत से उत्पाद जी.आई. टैग अर्थात भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक हैं। ये वे उत्पाद हैं जिनसे स्थान विशिष्ट की पहचान होती है । 

इस योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर 24 जनवरी 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की थी। इस योजना को "सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग" के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।

इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 5 सालो में 25 लाख लोगो को रोजगार मिलने की संभावना जताई गई है। इन छोटे, लघु एवं मध्यम उद्योगों से अब तक 89 हजार करोड़ से अधिक का निर्यात उत्तर प्रदेश से किया जा चूका है। उत्तर प्रदेश में ऐसे अनेक छोटे एवं लघु उद्योग हैं, जहां से विशेष पदार्थ बनाकर देश विदेश में भेजा जाता है। 
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जनपद से कांच का सामान तो वाराणसी की बनारसी रेशमी साड़ियां, लखनऊ के लखनवी कढ़ाई से युक्त कपड़े तो सहारनपुर की लकड़ी पर नक्काशी और सिद्धार्थनगर का विशेष काला नमक चावल देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध है। ऐसे ही मुजफ्फरनगर जो अपने आप में गुड़ की मिठास के लिए जाना जाता है, जिसे उत्तर प्रदेश का "शुगर बाउल" कहा जाता है। 
ऐसे सभी उत्पाद जिन्हे छोटे से गांव के छोटे-छोटे कलाकार बनाते हैं, लेकिन उन्हें उनकी वो पहचान नहीं मिल रही थी, जिसके वो हकदार हैं, इस योजना के तहत उन्हें उनकी पहचान दिलाने का प्रयास किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ODOP योजना के तहत इन खोये हुए कलाकारों को रोजगार देगी और उत्तर प्रदेश में जो भी जिला, जिस विशेष सामान के लिए प्रसिद्ध हैं, वहां के लघु उद्योग को पैसा देगी, वहां पर काम करने वालों को प्रोत्साहित करेगी।

एक जनपद–एक उत्पाद (ODOP) योजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं :-

  • स्थानीय शिल्प का संरक्षण एवं विकास/कला और क्षमता का विस्तार,
  • आय में वृद्धि एवं स्थानीय रोजगार का सृजन (रोजगार हेतु पलायन में भी कमी होगी),
  • उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार एवं दक्षता का विकास,
  • उत्पादों की गुणवत्ता में बदलाव (पैकिंग व ब्रांडिंग द्वारा),
  • उत्पादों को पर्यटन से जोड़ा जाना (लाइव डेमो तथा काउंटर सेल – उपहार एवं स्मृतिकाओं द्वारा),
  • क्षेत्रीय असंतुलन द्वारा उत्पन्न होने वाली आर्थिक विसंगतियों को दूर करना,
  • राज्य स्तर पर ओ.डी.ओ.पी. के सफल संचालनोपरांत इसे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाना ।

आइए जानते हैं कि इस ODOP योजना के तहत सभी जिलों से कौन कौन से उत्पाद लिए गए हैं-

  • अयोध्या- गुड़ 
  • मुजफ्फर नगर - गुड़
  • हरदोई- हैंडलूम 
  • हाथरस- हींग 
  • आजमगढ़- काली मिट्टी की कलाकृतियां 
  • अमरोहा- वाद्य यंत्र (ढोलक)
  • झांसी- सॉफ्ट ट्वॉयज 
  • चित्रकूट- लकड़ी के खिलौने 
  • मेरठ- खेल सामग्री 
  • जौनपुर- ऊनी कालीन (दरी)
  • सीतापुर- ऊनी कालीन (दरी)
  • भदोही-ऊनी कालीन (दरी)
  • मिर्जापुर- कालीन  
  • सोनभद्र- कालीन 
  • जालौन- हस्तनिर्मित कागज कला 
  • हमीरपुर- जूते 
  • हापुड़- होम फर्निशिंग 
  • बागपत- होम फर्निशिंग 
  • अंबेडकरनगर- वस्त्र उत्पाद 
  • बाराबंकी- वस्त्र उत्पाद 
  • मऊ- वस्तु उत्पाद 
  • इटावा- वस्त्र उद्योग 
  • औरैया- दूध प्रसंस्करण (देसी घी)
  • अलीगढ़- ताले एवं हार्डवेयर 
  • आगरा- चमड़ा उत्पाद 
  • कानपुर नगर- चमड़ा उत्पाद 
  • कानपुर देहात- एल्युमिनियम के बर्तन
  • अमेठी- मूंज उत्पाद 
  • प्रयागराज- मूंज उत्पाद 
  • सुल्तानपुर- मूंज उत्पाद 
  • कौशांबी- खाद्य प्रसंस्करण (केला)
  • प्रतापगढ़- खाद्य प्रसंस्करण (आंवला)
  • बलरामपुर- खाद्य प्रसंस्करण (दाल)
  • गोंडा- खाद्य प्रसंस्करण (दाल)
  • बहराइच- गेहूं डंठल उत्पाद (हस्तकला)
  • बलिया- बिंदी उत्पाद 
  • बस्ती- काष्ठ कला 
  • बिजनौर- काष्ठ कला 
  • रायबरेली- काष्ठ कला 
  • बुलंदशहर- सिरेमिक उत्पाद 
  • महाराजगंज- फर्नीचर 
  • लखीमपुर खीरी- जनजातीय शिल्प 
  • श्रावस्ती- जनजातीय शिल्प 
  • कुशीनगर- केला फाइबर उत्पाद 
  • कन्नौज- इत्र 
  • बांदा- शजर पत्थर शिल्प 
  • महोबा- गौरा पत्थर 
  • मुरादाबाद- धातु शिल्प 
  • मैनपुरी- तारकशी कला 
  • मथुरा- सैनिटरी फिटिंग 
  • पीलीभीत- बांसुरी 
  • फिरोजाबाद- कांच के उत्पाद 
  • फर्रुखाबाद- वस्त्र छपाई 
  • फतेहपुर- बेडशीट एवं आयरन फैब्रिकेशन वर्क्स 
  • देवरिया- सजावट के सामान (डेकोरेशन)
  • गाजीपुर- जूट वॉल हैंगिंग 
  • गौतम बुद्ध नगर- रेडीमेड गारमेंट 
  • रामपुर- जरी पैचवर्क
  • गाजियाबाद- इंजीनियरिंग सामग्री 
  • संत कबीर नगर- ब्रासवेयर 
  • गोरखपुर- टेराकोटा 
  • शामली- लौह कला 
  • एटा - घुंघरू, घंटी, पीतल उत्पाद
  • सिद्धार्थनगर- काला नमक चावल 
  • वाराणसी- बनारसी रेशमी साड़ियां 
  • ललितपुर - ज़री सिल्क साड़ियां
  • सहारनपुर- लकड़ी पर नक्काशी 
  • संभल- हस्तशिल्प हार्मोन 
  • लखनऊ- जरी जरदोजी और चिकनकारी
  • उन्नाव- जरी जरदोजी
  • शाहजहांपुर- जरी जरदोजी
  • बरेली- जरी जरदोजी
  • बदायूं- जरी जरदोजी
  • चंदौली- जरी जरदोजी
  • कासगंज- जरी जरदोजी

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