प्रायद्वीप संस्कृत के शब्द प्रायः एवं द्वीप से मिलकर बना है जिसका अर्थ है लगभग द्वीप के समान।
अब प्रश्न यह उठता है कि द्वीप क्या होता है?
द्वीप भूमि के उस टुकड़े को कहा जाता है जो चारों ओर से जल से घिरा हो। उदाहरण के तौर पर भारत का लक्षद्वीप समूह, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और बहुत से ऐसे द्वीप हैं जो चारों ओर से समुद्र से घिरे हुए हैं। लक्षद्वीप समूह एवं अंडमान निकोबार दीप समूह सैकड़ों छोटे-छोटे द्वीपों के समूह हैं, जिन्हें संयुक्त रूप से द्वीप समूह कहा जाता है।
इसी प्रकार नदी द्वीप होते हैं जो नदियों से चारों ओर से घिरे होते हैं।
अब बात करते हैं प्रायद्वीप किसे कहते हैं?
प्रायद्वीप भूमि के उस टुकड़े को या उस भाग को कहा जाता है जो तीन ओर से जल से घिरा हो और एक ओर से भूमि से जुड़ा हुआ हो। उदाहरण के तौर पर भारत के दक्षिणी भाग को लेते हैं जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में हिंद महासागर, पश्चिम में अरब सागर जबकि उत्तर की ओर भारत स्थल से जुड़ा हुआ है।
यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि प्रायद्वीप एवं द्वीप में थोड़ा सा अंतर है। प्रायद्वीप तीन ओर से समुद्र से या जल से घिरा होता है जबकि द्वीप चारों ओर से जल से घिरा होता है।
तीन ओर से जल से घिरा होने के कारण ही ऐसे भूभाग को प्रायद्वीप कहा जाता है अर्थात प्रायः (लगभग) द्वीप के समान।
भारत का दक्षिणी भाग जिसे प्रायद्वीपीय भारत कहा जाता है, यह वास्तव में प्राचीन गोंडवाना लैंड का हिस्सा है जिसका निर्माण पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से हुआ है। इसमें आर्कियन से लेकर कार्बोनिफरस युग तक की जटिल चट्टाने पाई जाती हैं।
यह एक मेज की आकृति वाला भूभाग है जो उत्तर की ओर चौड़ा एवं दक्षिण की ओर संकीर्ण (पतला) है। इसकी औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर तक है, इस कारण इस भूभाग को प्रायद्वीपीय पठार कहा जाता है। आकृति की दृष्टि से यह अनियमित त्रिभूजाकार है।
प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर पूर्व एवं पश्चिम में कई पहाड़ियां पाई जाती हैं जिनकी औसत ऊंचाई 500 से 750 मीटर तक है। इसी पठार की उत्तरी सीमा पर अरावली, विंध्याचल एवं सतपुड़ा की पहाड़ियां है। इस प्रायद्वीप पठार के पूर्व में स्थित बंगाल की खाड़ी के तट को पूर्वी तट एवं पश्चिम में स्थित अरब सागर के तट को पश्चिमी तट कहा जाता है। इन दोनों तटों पर कई प्रसिद्ध बंदरगाह जैसे मुंबई, विशाखापत्तनम, चेन्नई, कोचीन स्थित हैं जो इन तटों की शोभा एवं इनका महत्त्व बढ़ात हैं।
प्रायद्वीपीय भारत में कई प्राचीन नदियां मिलती हैं जिन नदियों की प्रौढ़ावस्था एवं नदी घाटियों के चौड़ा एवं उथला होने से यह प्रमाणित होता है कि प्रायद्वीपीय अपवाह (नदी) तंत्र हिमालयी अपवाह तंत्र से प्राचीन है। प्रायद्वीपीय भारत की नदियां जैसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा, महानदी, स्वर्णरेखा, कावेरी, चंबल, बेतवा, सोन, केन आदि हैं, इसके अलावा यहां और भी अनेक छोटी-बड़ी नदियां विद्यमान हैं, जिनके कारण इस प्रायद्वीप क्षेत्र का अत्यधिक ऐतिहासिक महत्व है। आपने विजय नगर एवं बहमनी साम्राज्य के बारे में सुना ही होगा, इन दोनों साम्राज्य के मध्य अक्सर प्रायद्वीपीय नदी क्षेत्र के लिए ही विवाद होता रहता था और यही इनके पतन का कारण भी बना। इन प्रायद्वीपीय नदियों में अनेक नदियां समुद्र में मिलते समय डेल्टा का निर्माण करती है, हालांकि नर्मदा एवं तापी नदी इसके अपवाद हैं।
यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है दक्षिण भारत की सभी नदियां पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं और बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं, सिर्फ नर्मदा एवं तापी ही ऐसी नदी हैं जो पूर्व की ओर प्रवाहित ना होकर पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं एवं अरब सागर में मिलती हैं।
प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरी भाग का ढाल उत्तर की ओर है, इसी वजह से विंध्याचल पर्वत से निकलने वाली अधिकांश नदियां उत्तर की ओर बहती हुई यमुना एवं गंगा में मिल जाती हैं, जिनमें चंबल, कालीसिंध, बेतवा, केन एवं सोन नदियां प्रमुख हैं। हिमालयी नदियों के विपरीत ये नदियां वर्षा की मात्रा पर निर्भर रहती हैं, जिस कारण अधिकांश नदियां सदानीरा नही होतीं।
इसी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में महानदी पर विश्व का सबसे बड़ा बांध हीराकुंड बांध बनाया गया है इसी क्षेत्र में स्थित गोदावरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा या वृद्ध गंगा के नाम से जाना जाता है जोकि महाराष्ट्र में स्थित नासिक जिले के त्रयंबकेश्वर से निकलती है एवं दक्षिण मध्य भारत को पार कर बंगाल की खाड़ी में मिलती है। गोदावरी नदी घाटी कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के भंडार के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में अनेक तीर्थ स्थल जैसे नासिक, त्रयंबकेश्वर आदि स्थित हैं।
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गोदावरी नदी पर राजमुंद्र और कोस्बर को जोड़ने वाला एशिया का सबसे बड़ा रेल सह सड़क मार्ग भी निर्मित किया गया है जो अभियांत्रिकी का एक उत्तम उदाहरण है।
इस प्रकार आज "प्रायद्वीप क्या होता है, दक्षिण भारत को प्रायद्वीपीय भारत क्यों कहा जाता है, प्रायद्वीप एवं द्वीप में क्या अंतर होता है एवं दक्षिण भारत के अपवाह तंत्र एवं उसकी विशेषताएं तथा इनका ऐतिहासिक महत्व क्या है," इन सभी विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
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